बोध गया
नेपाल की लुम्बिनी में विष्णु के नवम अवतार बुद्ध का जन्म हुआ था। वाराणसी के पास सारनाथ में बौद्ध धर्म का प्रादुर्भाव हुआ और गोरखपुर के पास कुषीनगर में उन्हें महानिर्वाण प्राप्त हुआ। सिद्धार्थ ने बुद्ध गया में बोध अर्थात् दिव्य ज्ञान को प्राप्त किया था। 2500 वर्ष पहले निरंजना नदी के किनारे उरुविल्व गांव में पीपल के नीचे वज्रषिला पर बैठकर 49 दिनों तक तपस्या करने के बाद वैसाख महीने की पूर्णिमा को सिद्धार्थ ने सिद्धि प्रप्त की। समय के साथ निरंजना का नाम फल्गु और उरुविल्व का बुद्ध गया हो गया और पीपल का पेड़ आज बोधिवृक्ष के नाम से प्रसिद्ध है। बोध गया से बुद्ध की स्मृतियां जुड़ी हुई हैं। सम्राट अषोक भी यहां आये थे। धुमने का मनोरम समय अक्टूवर से मार्च तक होता है। बोध गया में विभिन्न देषों द्वारा बनाये गये दर्जनों मंदीर देखने लायक हैं। यहां खुले आकाष में 25 मीटर ऊंची भगवान बुद्ध की बैठी हुई मूर्ति है। 1989 में दलाई लामा ने इसका अनावरण किया था।