Naye Pallav

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आईना

RESULT : कविता प्रतियोगिता 2020
द्वितीय

Dhanu Dayal

जब देखा मैंने आईना, तो मैंने देखा –
मैं देखती हूं बस दूसरों में कमियां,
मैं देखती हूं बस अपने में खूबियां,
अपनी गलती बताने पर मैं तिलमिला जाती हूं,
अपनी झूठी तारीफ पर मैं खिल जाती हूं।

जब देखा मैंने आईना, तो मैंने देखा –
मैंने खो दी है अपनी मासूमियत,
मैंने खो दी है अपनी इंसानियत,
मैं कितने झूठे चेहरे लिए बैठी हूं,
झूठ को सच और सच को झूठ कहती हूं।

जब देखा मैंने आईना, तो मैंने देखा –
कि समय भी बताता है आईना,
बचपन, जवानी, बुढ़ापा, दिखाता है आईना,
झूठे नकाब उतार कर,
सच दिखाता है आईना।

जब देखा मैंने आईना, तो अपने को अकेला पाया,
यह देख दिल बहुत घबराया,
तब आईने ने मुझे बताया,
जब देखूंगी सब में अच्छाई,
तभी उसमें नजर आएगी अपनी भी परछाई।

Address  : F-41, Pragativan Colony, Tantura Road, Mathura-281001 UP

E-mail  : [email protected]

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