तीन तलाक बिल पास

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने बड़ी जीत हासिल की है। तीन तलाक बिल को लोकसभा के बाद राज्यसभा में भी मंजूरी मिल गई। तीसरी कोशिश में सरकार को यह कामयाबी मिली है।
संसद ने मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक देने की प्रथा पर रोक लगाने के प्रावधान वाले एक ऐतिहासिक विधेयक को मंजूरी दे दी। विधेयक में तीन तलाक का अपराध सिद्ध होने पर संबंधित पति को तीन साल तक की जेल का प्रावधान किया गया है। मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक को राज्यसभा ने 84 के मुकाबले 99 मतों से पारित कर दिया। लोकसभा इसे पहले ही पारित कर चुकी है।
विधेयक पारित होने से पहले ही जेडीयू और एआईएडीएमके के सदस्यों ने विरोध जताते हुए सदन से वॉकआउट कर दिया। विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए विधि एवं न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि एक प्रसिद्ध न्यायाधीश आमिर अली ने 1908 में एक किताब लिखी है, इसके अनुसार तलाक ए बिद्दत का पैगंबर मोहम्मद ने भी विरोध किया है। श्री प्रसाद ने कहा कि जब इस्लामिक देश अपने यहां अपनी महिलाओं की भलाई के लिए बदलाव की कोशिश कर रहे हैं, तो हम तो एक लोकतांत्रिक एवं धर्मनिरपेक्ष देश हैं, हमें यह काम क्यों नहीं करना चाहिए ?
उन्होंने कहा कि तीन तलाक से प्रभावित होने वाली करीब 75 प्रतिशत महिलाएं गरीब होती हैं। ऐसे में यह विधेयक उनको ध्यान में रखकर बनाया गया है। श्री प्रसाद ने कहा कि हम ‘सबका साथ सबका विकास एवं सबका विश्वास’ में भरोसा करते हैं और इसमें हम वोटों के नफा नुकसान पर ध्यान नहीं देंगे और सबके विकास के लिए आगे बढ़ेंगे और उन्हें (मुस्लिम समाज को) पीछे नहीं छोड़ेंगे।
क्या है प्रावधान
- मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक में यह प्रावधान किया गया है कि यदि कोई मुस्लिम पति अपनी पत्नी को मौखिक, लिखित या इलेक्ट्राॅनिक रूप से या किसी अन्य विधि से तीन तलाक देता है, तो उसकी ऐसी कोई भी ‘उद्घोषणा शून्य और अवैध होगी।
- तीन तलाक से पीड़ित महिला अपने पति से स्वयं और अपनी आश्रित संतानों के लिए गुजारा भत्ता प्राप्त पाने की हकदार होगी। इस रकम को मजिस्ट्रेट निर्धारित करेगा।
अब बन जाएगा तीन तलाक कानून
- तीन तलाक देने वाले पति तो अधिकतम तीन साल तक की सजा।
- तीन तलाक कहने वाले पति को जेल के साथ जुर्माना भी।
- एफआईआर दर्ज होने के बाद बिना वारंट गिरफ्तारी।
- फैसला होने तक बच्चा मां के संरक्षण में रहेगा।
- आरोपी को पुलिस जमानत नहीं दे सकेगी।
- पति को पत्नी को गुजारा भत्ता देना होगा।
- मजिस्ट्रेट पत्नी का पक्ष जानने के बाद जमानत दे सकते हैं।
- तीन बार तलाक देना कानूनी अपराध।
- पीड़िता या परिवार के सदस्य एफआईआर दर्ज करा सकते हैं।
- मजिस्ट्रेट को सुलह कराकर शादी बरकरार रखने का अधिकार।