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मां, मुझे उड़ने दो

शुभी मिश्रा

मां, मुझे भी पढ़ाओ न
मैं भी जीना चाहती हूं अपनी जिन्दगी
अपने पंखों को खोलकर
आसमां छूना चाहती हूं
मां, मुझे उड़ने दो
बेटियां बोझ नहीं, बताओ न सबको
मुझे चारदीवारी से बाहर
खुला आसमान देखने दो
बेरंग नहीं बनाना जीवन
रंग-बिरंगे सपने सजाने दो
मां, मुझे उड़ने दो।
तुम मुझे अपनी परछाई बनने दो
मेरे साथ रहो तुम पर
अपनी राह खुद चुनने दो
मेरा हाथ थामो तुम पर
जब लड़खड़ाऊ … खुद ही उठने दो
मां, मुझे उड़ने दो।

मां

तेरे कंगन और पायल की खनक
लोरी लगती है
तू हंसती है तो दुनिया हंसती है
तू हमेशा मेरे दिल में बस्ती है
जिद मैं करती हूं
पूरा उसे तू करती है
जब खाना नहीं खाती तो
डांट के खिलाती है
जब कलम उठाती हूं
जो मन में है, वो लिखती हूं
पर जब दुनिया के बारे में बताना हो
तो सिर्फ ‘मां’ ही लिखती हूं।।

Address : Shastri Nagar, Sultanpur, UP

School : SVM School, Sultanpur   Class : 9th

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