राजीव मणि व मनहरण नेपाल में सम्मानित

भारत के दो युवा साहित्यकारों को नेपाल हिंदी साहित्य परिषद ने सम्मानित किया है। अवसर था विश्व हिंदी दिवस के अवसर पर ‘बाल हिंदी कविता प्रतियोगिता’ का। इस अवसर पर नये पल्लव प्रकाशन द्वारा प्रकाशित ‘निबंध गंगा’ का लोकार्पण भी किया गया। इस पुस्तक के लेखक हैं कार्तिक कुमार झा ‘मनहरण’। कार्यक्रम की अध्यक्षता नेपाल हिंदी साहित्य परिषद, बीरगंज के अध्यक्ष कुमार सच्चिदानंद सिंह ने की, जबकि मुख्य अतिथि के आसन को स्थानीय साहित्यकार गणेश लाठ सुशोभित कर रहे थे। विशिष्ट अतिथि के रूप में नये पल्लव, पटना के संस्थापक व प्रबंध संपादक राजीव मणि की उपस्थिति थी, जबकि अन्य विशिष्ट अतिथि के रूप में साहित्यकार कार्तिक कुमार झा ‘मनहरण’ मंच को सुशोभित कर रहे थे।
कार्यक्रम में रक्सौल केसीटीसी महाविद्यालय के पूर्व विभागाध्यक्ष एवं वरिष्ठ साहित्यकार प्रोफेसर डॉ. हरिंद्र हिमकर के साथ-साथ पूर्व सांसद एवं मंत्री सुरेंद्र प्रसाद चैधरी, नेपाल हिंदी साहित्य परिषद के निवर्तमान अध्यक्ष ओमप्रकाश सिकरिया, स्थानीय कवि ऋतू राज एवं अनिता साह की गरिमामय उपस्थिति थी। इस अवसर पर नये पल्लव की ओर से नेपाल हिंदी साहित्य परिषद को एक स्मृति चिन्ह तथा परिषद के अध्यक्ष ओमप्रकाश सिकरिया को भी सम्मानित किया गया। साथ ही नये पल्लव मंच से प्रकाशित किताबों का एक सेट नेपाल हिंदी साहित्य परिषद को दिया गया। नये पल्लव ने बच्चों को भी सम्मानित किया।

विभा मेहता तथा पशुपति शिक्षा मन्दिर की छात्राओं ने सरस्वती वन्दना के गायन से सबको मंत्रमुग्ध कर दिया। इस कार्यक्रम में स्थानीय स्तर पर निजी तथा सामुदायिक विद्यालयों के लगभग 20 छात्र-छात्राओं ने अपनी सहभागिता दी। स्थानीय आवश्यकता को देखते हुए पुरस्कारों के 2 वर्ग किए गए थे। निजी विद्यालयों के लिए पुरस्कारों की अलग श्रेणी थी, जबकि सामुदायिक विद्यालयों के लिए पुरस्कारों की एक अन्य श्रेणी थी। दोनों ही श्रेणियों में प्रथम, द्वितीय तथा तृतीय पुरस्कारों के साथ-साथ 1-1 सांत्वना पुरस्कार भी प्रदान किए गए। प्रथम वर्ग में क्रमशः उन्नति तुल्स्यान, सिद्धि राजगढ़िया, अंजली पटेल तथा सिमरन साह ने प्रथम, द्वितीय, तृतीय तथा सांत्वना पुरस्कार प्राप्त किया, जबकि दूसरे वर्ग में हेमंत सिंह यादव, गुड्डी कुमारी, नेहा चैरसिया तथा राम कुमार राम ने इन पुरस्कारों को प्राप्त किया।

इस अवसर पर मंचासीन विद्वानों तथा साहित्यकारों ने हिंदी के वैश्विक स्वरूप, नेपाल में इसकी वर्तमान परिस्थिति और समसामयिक जीवन में इसकी आवश्यकता पर अपने विचार व्यक्त किये तथा सबने इस बात को स्वीकार किया कि हिंदी विश्व भाषा बनने के कगार पर है और अगर हम हिंदी के जानकार हैं तो विश्व में कहीं भी हमें उतनी कठिनाई नहीं झेलनी होगी, जितनी अन्य भाषाभाषियों को झेलनी होती है। लोगों ने नेपाल में हिंदी की वर्तमान अवस्था का कारण राजनीतिक बताया और यह भी विचार व्यक्त किया कि यह सच है कि नेपाल में हिंदी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है और इसका साथ किसी न किसी रूप में नेपाली साहित्य को भी समृद्ध करने में योगदान देगा, क्योंकि इसका स्वरूप वैश्विक है और इसका साहित्य भी समृद्ध है। दिनानुदिन हिंदी का बढ़ता स्वरूप इस क्षेत्र में रोजगार के अवसर भी सृजन कर रहा है। इसलिए हमें इस भाषा के ज्ञान के साथ-साथ सुंदर प्रयोग की कला भी सीखनी चाहिए। कार्यक्रम का संचालन संस्था के सचिव तथा कार्यक्रम के संयोजक सतीश चंद्र झा ‘सजल’ ने किया।