Naye Pallav

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प्रीत की डोर

ऋचा प्रियदर्शिनी

हम ब्याह कर नए शहर आए। अनजाना शहर और दो नए नवेले। दुनियादारी का ज्ञान नहीं … आँखों में हसीन सपने संजोए अपनी दुनिया बसाने चले। मैं पढ़ ही रही थी, इनकी नई नौकरी थी।
मेरा जन्मदिन आया… सुबह बड़े प्यार से इन्होंने मुझे चाय के साथ अपने क्वार्टर में लगे गुलाब दिए। मेरा मन खिल उठा।
शाम को इनकी भाभी का फ़ोन आया – ‘‘लल्ला जी, क्या उपहार दिया मेरी देवरानी को… आखिर पहला जन्मदिन है।’’
इन्होंने प्यार से मेरी ओर देखा और मेरी आँचल से एक धागा निकालकर मेरी उँगली में बाँध दिया और बोले – ‘‘अनमोल धागा जिसका बंधन कभी नहीं खुलेगा।’’

अनमोल गहना

सुलभा आज बहुत उत्साहित थी। कॉलेज की पढ़ाई खत्म हो चुकी। उसके सारे दोस्त एक दूसरे से अपने फ्यूचर प्लान्स डिसकस कर रहे थे। कोई आगे पढ़ने वाला था, कुछ जॉब्स ले रहे थे, कुछ अपना काम शुरू करना चाहते थे… वगैरह वगैरह।
आज कॉन्वोकेशन सेरेमनी के बाद उनकी एक पाँच सितारा होटल में पार्टी थी।
सुलभा ड्रेस सेलेक्ट कर रही थी। मम्मी कुछ मैचिंग ज्वैलरी पहनने को दीं।
‘‘कैसी लग रही हूँ मैं माँ के गहनों में ?’’ – उसने इठलाकर अपने पापा से पूछा।
‘‘मेरी डॉक्टर बिटिया बहुत प्यारी है, और उसका सबसे कीमती गहना है यह स्टेथस्कोप (आला)।’’ पापा गर्व से बोले।

कामयाबी

सोमेन्द्रनाथ को कामयाबी, शोहरत की अतिशय लालसा थी। व्यवसाय में दिनोंदिन तरक्की के बावज़ूद उनका यह नशा बढ़ता ही जा रहा था। घर-गृहस्थी से बेफिक्र वह कारोबार में व्यस्त रहते… उनका काम सिर्फ पैसे कमा कर लाना था… बाकी सब उनकी पत्नी ही देखती।
उस शाम 6 बजे उन्होंने अपने फ़ोन पर कई मिस्ड कॉल देखे, घबराकर वापस पत्नी को फ़ोन मिलाया।
‘‘अम्माजी नहीं रहीं, सुबह से सीने में दर्द था… हॉस्पिटल लेकर आई… लाख कोशिशों के बावज़ूद बचाया न जा सका… आपको कितनी बार फ़ोन मिलाया, पर शायद आप व्यस्त थे… उनकी आँखें आपको ही तलाश रही थीं।’’ – पत्नी सुबकती हुई बोली।
उसके हाथ से फ़ोन छूट गया।

पता : Lotus Villa, East Boring Canal Road, Gupteshwar Compound, Patna – 800001

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