Naye Pallav

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औरत का घर कहां ?

शुभी मिश्रा

नये पल्लव 11 अंक से

जहां बीता था बचपन मेरा
वो ठिकाना अब अपना नहीं लगता
अपनी लगती है मां मगर
मायका अब अपना नहीं लगता
समझ नहीं पाती हूं मैं
औरत का असली घर कहां ?
कहते हैं ससुराल है असली घर
पर वहां सब कहते – तू बेटी नहीं, बहू है
आंगन, देहरी और दरवाजे
सभी नए से लगने लगे
घर ऐसा बदला कि
हर कोना अंजाना लगता मुझे
फिर उठता है मन में ये सवाल
औरत का असली घर कहां ?
बेटी बनकर आई थी
मां-बाप के जीवन में
जो आंगन था बसेरा कलतक
आज वहां मैं पराई थी
बांध दिया जिस बंधन में
उस बंधन में प्यार मिले, जरूरी तो नहीं
क्यूं रिश्ता हमारा इतना अजीब होता है
क्या यही बेटियों का नसीब होता है ?
समझ नहीं आता मुझे …
औरत का घर कहां होता है ?

होती है चर्चा

चर्चा होती है मेरे कपड़ों की
कोशिश करते हैं लोग
मेरी कमियां तलाशने की
ना मिले कोई वजह तो
ताने मुझ पर कसते हैं
लोग मुझे अपनी नजरों से
इस तरह आंका करते हैं
कि पर्दे में रहकर भी
मैं हो जाती हूं बेपर्दा
बेवजह … उनकी नजरों में।

मोटी है ये लड़की,
सयानी लगती है
ये कहकर अक्सर मुझे
अपनी नजरों से गिराते हैं
उठाते हैं ऊंगलियां मुझपे
पर खुद को नहीं देखते
हर इंसान में कमियां हैं
कभी ये नहीं सोचते।

उनकी सोच तले मैं दबती गई
अपना खुद पर विश्वास भी खोती गई
बनायेंगे मजाक मेरा, ये सोचकर
लोगों से नजरे चुराने लगी
बिना कारण तनाव में आने लगी।

पहले सोचती थी, मैं परफेक्ट हूं
पर वे बताने लगे, मैं इन-परफेक्ट हूं
इस दुनिया में लोगों को
उनके कर्म से बाद में
पहले शक्ल, सूरत और
पहनावे से पहचाना जाता है
साधारण इंसान का वजूद नहीं
अब मॉडल का जमाना है।

पता : Hydel Colony, Near Saraswati Vidya Mandir, Vivekanand Nagar, Sultanpur, UP

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