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पनाह

कहानी प्रतियोगिता 2020
द्वितीय

Dhanu Dayal

अदालत खचाखच भरी थी। जज साहब जैसे ही कोर्ट रूम में दाखिल हुए, सब एकदम शांत होकर उनके सम्मान में खड़े हो गए। शुरूआती कार्यवाही पूरी होने के बाद सरकारी वकील, जो तपस्या का केस लड़ रहे थे, जज साहब की ओर मुखातिब होते हुए बोले – ‘‘मीलॉर्ड, मेरी मुवक्किल तपस्या चैधरी बीस नवंबर की रात नौ बजे जब अपने घर की तरफ लौट रही थी, तो मुलजिम अजय लाल ने इन्हें लिफ्ट देने के बहाने अपनी गाड़ी में बिठा लिया और एक सुनसान जगह ले गया, जहां इसने तपस्या चैधरी के साथ बहुत ही वहशियाना ढंग से बलात्कार किया, जिससे मेरी मुवक्किल तपस्या चैधरी को बहुत गंभीर चोटें आईं और वह बेहोश हो गई। इसके बाद मुलजिम अजय लाल ने इन्हें वहीं सड़क पर मरने के लिए छोड़ दिया।’’ वकील ने आगे कहा – ‘‘मीलॉर्ड, मैं दरख्वास्त करता हूं कि मुलजिम अजय लाल को सख्त से सख्त सजा दी जाए।’’
जज साहब ने अजय लाल की तरफ देखा और कहा – ‘‘तुम्हें अपनी सफाई में कुछ कहना है ?’’
अजय लाल बहुत धीरे से बोला – ‘‘जज साहब, मुझ पर झूठा इल्जाम लगाया जा रहा है, मैं तो उस दिन इस शहर में ही नहीं था।’’
तब अजय लाल का वकील संजय ठाकुर बोला, ‘‘हां मीलॉर्ड, मैं अदालत में सबूत पेश कर चुका हूं कि उस दिन अजय लाल इस शहर में नहीं था।’’ वकील संजय ठाकुर ने आगे कहा – ‘‘चूंकि अजय लाल एक रसूखदार पिता का बेटा है, तो धन के लालच में इस पर ऐसा इल्जाम लगाया जा रहा है। कोई भी गवाह या सबूत ऐसा नहीं है जो सरकारी वकील ने अदालत में पेश किया हो, जिससे अजय लाल को गुनाहगार ठहराया जा सके।’’
जज साहब ने कहा – ‘‘तमाम गवाहों और सबूतों को मद्देनजर रखते हुए अदालत इस नतीजे पर पहुंची है कि अजय लाल किसी भी प्रकार से दोषी नहीं पाया गया, इसलिए…’’
‘‘ठहरिए जज साहब, मुझे कुछ कहना है।’’ तपस्या गरजी। ‘‘इससे पहले कि आप फैसला सुनाए, मैं कुछ कहना चाहती हूं। जज साहब, मेरे साथ ज्यादती तो हुई है और इसी शख्स ने की है। मगर गवाह मुकर गए हैं और सबूत बदल दिए गए हैं। मैं ये पूछना चाहती हूं आपसे और इस समाज से कि मेरे साथ जो हुआ, उसमें मेरा क्या कसूर था। लोग मुझे ऐसी नजरों से देखते हैं जैसे मैंने पाप किया हो। औरतें भी मुझ पर उंगली उठाती हैं और पुरुष तो जैसे आंखों से ही मुझे बेपर्दा कर देते हैं।’’
जज साहब ने कहा – ‘‘आखिर तुम कहना क्या चाहती हो।’’
तपस्या ने अपने आपको संभालते हुए गंभीरता से कहा – ‘‘जज साहब, मैं कठघरे में अजय लाल की मां, पत्नी और बहन को बुलाना चाहती हूं।’’
तभी वकील संजय ठाकुर बोला – ‘‘ऑब्जेक्शन मीलॉर्ड, ऐसा नहीं हो सकता। इन लोगों का केस से कोई संबंध नहीं है। ये लड़की अदालत का समय खराब कर रही है, इससे कुछ हासिल नहीं होगा।’’
तपस्या ने कहा – ‘‘जज साहब, बिना मेरी और इन गवाहों की बात सुने वकील साहब कैसे कह सकते हैं कि इन तीनों का केस से कोई संबंध नहीं है।’’
जज साहब ने कहा – ‘‘ठीक है, अदालत आज्ञा देती है कि तीनों को कठघरे में बुलाया जाए।’’
तीनों कठघरे में सहमी हुई खड़ी हो गई, तपस्या उनके पास पहुंची और कहा – ‘‘आप अजय लाल की मां हैं, आपको याद है बीस नवंबर की रात जब अजय लाल घबराया हुआ सा घर में दाखिल हुआ था, उसके कपड़े कई जगह से फटे थे और कई जगह चोट भी लगी हुई थी। आपने रोककर उससे पूछा तो उसने घबराकर कहा कि कुछ नहीं हुआ और तेजी से अपने कमरे की ओर बढ़ गया। … तुम अजय लाल की बहन हो, उस रात तुमने भी देखा अपने भाई की हालत को, जो तुमसे नजरे बचाकर जा रहा था। …और तुम अजय लाल की पत्नी, उसकी अर्द्धांगिनी। जो कर्म वह करेगा उसके आधे की भागीदारी तुम्हारी, है न ! उस रात तुमने ही उसके जख्मों को मलहम लगाई और उससे पूछा, ये सब कैसे हुआ ? उसने जो कुछ बताया तुम्हें, उसके झूठ पर यकीन नहीं हुआ। पर तुम तीनों अच्छी तरह जानती हो कि ये दोषी है, पापी है।’’
तपस्या जज से मुखातिब होते हुए बोली – ‘‘जज साहब, मुझे पुरुष समाज और उसकी घिनौनी सोच से शिकायत कम, इन जैसी मां, बहन, बेटी और पत्नियों से ज्यादा है, जो ऐसे गुनाहगार अपनों को पनाह देती हैं। जिस दिन ये पनाह देना बंद कर देंगी, कोई अजय लाल ऐसा घिनौना पाप करने की सोचेगा भी नहीं।’’
तपस्या सिंहनी की तरह गरजी – ‘‘यदि इस सब में जरा भी झूठ है, तो तुम तीनों मुझसे नजरें मिलाओ और कहो कि यह निर्दोष है, बोलो … बोलो।’’
पूरे कक्ष में तपस्या की आवाज गूंज उठी।
अदालत में सन्नाटा छा गया और वे तीनों नजरें झुकाए अपनी आत्मा की आवाज सुनकर जज साहब की ओर बोलने के लिए मुड़ीं…।

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One thought on “पनाह

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