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चाय और जिंदगी

हरि प्रकाश गुप्ता

एक को पीने की चाह
और जीवन जीने की
खूबसूरत बनाने की राह
चाय का भी तो अलग-अलग स्वाद होता है
सभी का बनाने का अलग-अलग अंदाज होता है
कहते हैं चाय से शरीर में चुस्ती आ जाती है
चाय से किसी की जिंदगी भी बदल जाती है
चाहे चाय पीने वाला हो या फिर चाय बेचने वाला
काम कर ही देते हैं कुछ सबसे हटकर निराला
इसलिए जीवन में चाय के साथ-साथ चाह भी होनी चाहिए
चाय का स्थान सबसे अलग और महत्वपूर्ण रहना चाहिए
घर हो या दफ्तर या फिर कोई सफर
चाय ही रहती है हम सभी का सफर
प्रायः सभी को तो चाय से प्यार है
सुबह, दोपहर और शाम रहता इंतजार है
जीवन भी मानव के लिए विधाता का खूबसूरत उपहार है
जीवन खुशहाल हो तो हर पल त्योहार है
चाय पीजिए और आनंद लीजिए
जिंदगी से सदा मुहब्बत कीजिए
किसी को चाय पिलाने के लिए बुलाकर तो देखिए
उसे प्यार से एक कप चाय पिलाकर तो देखिए
आपके बड़े प्यार से अपने बन जाएंगे
चाय पीने आपके पास दौड़कर आएंगे
चाय की लीला बहुत महान, छोटे-बड़े सब एक समान
जाकर देखिए तो सही एकबार
चाय की दुकान
चाय और जिंदगी
एक को पीने की चाह
और जीवन जीने की राह
खूबसूरत बनाने की चाह।

मन करता है

मन करता है कुछ लिखूं
पर क्या और किसके लिए लिखूं
जिनके लिए सोचा
और उन्हें समझना चाहा
बहुत ही खूबसूरत और आकर्षक विचार पाए
हम भी बिना जाने उनके करीब आए
और एक पुस्तक उनके बारे में
लिखने की ठानी
समय निकलता गया और
उन्हें जाना और फिर बात मानी
मन करता है कुछ लिखूं
पर क्या और किसके लिए लिखूं
वो कहता कुछ और, करता कुछ और है
अच्छी-अच्छी बातें ही करता, दिल में कुछ और है
अपने ऊपर वालों को खुश रखता है
नीचे वालों पर अपनी शक्ति का गलत उपयोग करता
जो खिलाते हैं, उसे कुछ नहीं कहता
गलती भी करे तो चुप रहता है
जो सिर्फ काम करे पर उसे न खिलाता
काम की कदर वह नहीं कर पाता
अपने कामों का करता रहता बखान
बतलाएगा अपने आपको सबसे महान
मैं जो लिखा उसके बारे में, सभी कुछ उल्टा पाया
उसकी महानता नहीं मैं समझ पाया
यदि कोई ले उससे सलाह, तो सिर्फ उलझाता है
काम कितना भी अच्छा करो, अपनी ही मनवाता है
इतना ही काफी है उसके बारे में बताना
कीमती समय उसके लिए बर्बाद नहीं कराना
ऐसा नहीं कि अच्छाइयां नहीं उसके पास
पर किसी न किसी बात से कर देता उदास
मन करता है कुछ लिखूं
पर क्या और किसके लिए लिखूं
पर वह भी करे तो क्या करे
डरे भी तो किससे डरे
सभी का तो वही हाल है
माहौल यही हर साल है।

दर्द पाकर

दर्द को पाकर इतना मत घबड़ाइए
दर्द को बड़े आराम से गले लगाइए
बिना दर्द के जीवन में कुछ नहीं मिलता है
दर्द के बाद ही तो आनंद का पता चलता है
सुख और दुख नदी के दो किनारे
दोनों के अलग-अलग होते नजारे
जो दुखों को झेल लेते हैं
वो ही श्रेष्ठ होते हैं
व्यर्थ उनका जीवन जो सिर्फ
सुखों के लिए रोते हैं।

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