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संग्रहणीय पुस्तक : तुम्हारी प्रतीक्षा में

अतुल मल्लिक ‘अनजान’

बिहार सरकार के मंत्रिमंडल सचिवालय (राजभाषा) विभाग के अंशानुदान से 2018 में प्रकाशित कवि राजीव मणि कृत कविता संग्रह ‘तुम्हारी प्रतीक्षा में’ पढ़ने का अवसर मिला। 96 पृष्ठीय इस पुस्तक में कुल 38 कविताएं व कुछ क्षणिकाएं संग्रहित हैं।

Tumhari Pratiksha Mein book cover
Tumhari Pratiksha Mein book

संग्रह की पहली कविता ‘जीवन का गणित’ शीर्षक से है। यह कविता एक मर्मस्पर्शी कविता है। कवि ने अपनी इस कविता के माध्यम से उस दुखती रग पर हाथ दिया है, जिसके लिए आदमी दिन-रात लगा रहता है, लेकिन जब उसे वृद्धाश्रम पहुंचाया जाता है, तो वह जीवन का गणित देखता है और अपने हिस्से के वजूद को खत्म पाता है। संग्रह की दूसरी कविता ‘नोटबंदी’ शीर्षक से है, इस कविता की पंक्तियां देखंे –
‘‘चलो, हम तो मुक्ति पा गए
तुम्हारे हाथों कटने-लूटने से
लेकिन क्या, सचमुच
हमारे चले जाने से
कालाधन और आतंकवाद की समस्या
खत्म हो जाएगी ?’’
कविता का यह प्रश्न बहुत बड़ा प्रश्न है, जो विचारणीय है। निश्चित रूप से नोट बदलने से भ्रष्टाचार न रूका है, न खत्म हो पाएगा, जब तक हम नहीं बदलेंगे, हम राष्ट्र हित में नहीं सोचेंगे। ‘मैं नोट हूं’ शीर्षक कविता एक हास्य-व्यंग्य की कविता है, यह कविता सच को बयां करती है और कहती है –
‘‘मैं ही महलों की शान
मैं ही हर पगड़ी की आन
मैं ही बाजार का रक्तचाप
मैं ही कोठे पर तबले की थाप
मैं ही सेठ-साहूकारों का गल्ला
मेरे बिन हर कोई ‘निठल्ला’
मैं ही लोकतंत्र पर चोट हूं
हां, मैं ही नोट हूं।’’
कवि इस कविता के माध्यम से कितना कुछ कह जाता है एवं समसामयिक परिदृश्य को भी सामने लाते हुए हमें सच से अवगत कराता है। संग्रह की प्रतिनिधि कविता ‘तुम्हारी प्रतीक्षा में’ देखिए –
‘‘तुम्हारा प्रेमपत्र
पत्रिका का एक संग्रहणीय अंक की तरह है
यह सोचकर
मैं इसे दिल रूपी डायरी में
नोट कर लेता था
कभी मिलो
तो तुम्हें बताऊं
कि इन प्रेमपत्रों का विशेषांक
कैसे मेरे दिल के छापाखाना से
छपकर तैयार रखा है
तुम्हारी प्रतीक्षा में
तुम्हारे ही हाथों विमोचन के लिए।’’
कवि का बिम्ब प्रयोग कितना साहित्यिक है। यह कविता एक स्तरीय प्रेम कविता है, प्रेम रंग से रंगीन है यह कविता। ‘पश्चाताप’ शीर्षक कविता एक संदेशप्रद कविता है। प्रेम में लड़कियां भावुक होकर सिर्फ मन ही नहीं, तन भी न्यौछावर कर देती हैं, फिर आजीवन पश्चाताप के अलावा कुछ रह नहीं जाता है। संग्रह की एक हास्य क्षणिका देखंे जिसका शीर्षक है ‘अनुभव’ –
‘‘एक पत्रिका की संपादिका को
एक नव विवाहिता, प्रकाशन हेतु
अपने सुहागरात का अनुभव लिख भेजी
कुछ दिनों के बाद
संपादिका की चिट्ठी आई
अच्छा किया, मेरी शादी से पहले आपने
यह बात बतायी।’’
यह एक हास्य क्षणिका है, जो पुस्तक पढ़ने के क्रम में आए गंभीरपन (गंभीरता) को तोड़कर हल्का कर देता है।
संग्रह में शामिल कई कविताएं व क्षणिकाएं स्तरीय हैं, जिनमें – अजन्में बिटिया के नाम, जरा बताना तो अम्मा, सबला, वह लड़की, किताब के पन्नों में, नदी, दलित बस्ती की शनिचरी, चरित्र, चक्कर, दृष्टिकोण इत्यादि।
संग्रह की तमाम रचनाएं विविध भाव लिए हुए हैं। इस पुस्तक को पढ़ते हुए पाठक अनगिनत मनःस्थिति का सामना करता है। एक संग्रहणीय पुस्तक देने के लिए कवि राजीव मणि जी को बहुत-बहुत आभार, अशेष मंगलकामनाएं।

पुस्तक का नाम : तुम्हारी प्रतीक्षा में (कविता-संग्रह)
कवि : राजीव मणि
प्राकाशक : नये पल्लव
प्रकाशन वर्ष : 2018
मूल्य : 200 रुपए
समीक्षक : अतुल मल्लिक ‘अनजान’

समीक्षक परिचय :
संस्थापक संयोजक : देहाती साहित्यिक परिषद
संपादक : सृजनोन्मुख मासिक ई-पत्रिका (हिन्दी)
देहाती रो संदेश (त्रैमासिक अंगिका पत्रिका)
मैथिल दीया (मैथिली पत्रिका)
सम्पर्क : ‘देहाती कुटीर’, ग्राम-जगन्नाथपुर, पोस्ट-बनैली, जिला-पूर्णिया, पिन-854201 (बिहार)
मोबाइल : 7488412309
ई-मेल : [email protected]

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