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मानवता

काजल साह

जो राष्ट्र निर्माण में खुद को लगाता
अपने जीवन को सही कर्मों में पाता
ना जाति का करता भेद
ना किसी धर्म से मतभेद
वह सारे धर्म को अपनाता
यही तो मानवता कहलाता
घृणा, नफरत, ईर्ष्या
कभी पास न आ पाता
एकता के बंधनों में रहने का
सबको वह पाठ पढ़ाता।

देश के वीर सिपाही
सीमा पर लड़ते हैं
अपने प्राणों की आहुति देकर
राष्ट्र को अपने लहू से पवित्र बनाते हैं
अपने लहू को लहू ना समझ
पानी की तरह बहा देते हैं
नहीं डरते हैं वो किसी से
राष्ट्र के लिए अपने प्राणों को भी
न्योछावर कर देते हैं
मानवता का पाठ पढ़ाते हैं।

शिक्षा

शिक्षा अज्ञानता को दूर भगाती
गलत कर्मों से हमें बचाती
जीवन को सही मार्ग पर ले जाती
तभी तो शिक्षा सबको भाती।

जीवन के मिठास को अपनाती
जीवन को दुष्ट कर्म से बचाती
जीवन में सपने को लक्ष्य बनाती
इसलिए शिक्षा अनमोल तोहफा बन जाती।

मेरी मां

पलकों के छाव में
मुझे बैठाती है
गर्मी में भी
धधकती आग पर खाना
मेरे लिए बनाती है
आधा खुद खाकर
मुझे पूरा खिलाती है
अपने ख्वाब को भूलकर
मेरे ख्वाबों में
पंख लगाना चाहती है
एक गुरु की तरह
मुझे जीवन के पाठ
पढ़ाती है
मां ही मेरे जीवन का
आधार बन पाती है।

पता : C/O – Suresh Sah, Bichali Ghat, 17 Canal South Road, Kolkata – 700 015

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