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भावांजलि : समाज को दिशा देता संग्रह

डॉ. दिनेशचन्द्र अवस्थी

मन के सूक्ष्म संवेगों को लय, ताल और छंद विधान के साथ गेयता में प्रस्तुत करने की कला का नाम है – काव्य सर्जना। ‘भावांजलि’ नामक काव्य संग्रह में कवयित्री श्रीमती शिमला पाण्डेय ने अपनी सुन्दर-सुन्दर कविताओं को समाहित किया है। ये कविताएं समाज-जीवन का प्रबोधन करती हैं। कवि मानव-समाज को दिशा देता है। इनकी कविताएं समाज का दिशाबोध कराती हैं। भावांजलि की कविताओं में अध्यात्म, दर्शन, संस्कृति, देशभक्ति, मानवता भक्ति की सुगंध सुवासित होती है।
कवयित्री शिमला जी की कविताएं मनुष्य को मनुष्यता का संस्कार प्रदान करने वाली हैं। भावांजलि में भावों और सद्विचारों तथा गहरे चिंतन के मोती करीने से पिरोये गए हैं। पंक्तियां देखें –
ये वसुधा परिवार हमारा, खुशियों से भरपूर रहे।
यही कामना करें प्रभु से, दुष्कर्मों से दूर रहे।

लेखिका पाखंड के बजाय अपने अंतर को स्वच्छ बनाने की हमें प्रेरणा देती है –
न ओढ़ो राम नाम की चादर, करो न राम नाम का जाप।
अन्दर बैठा अंश राम का, उसको कर लो साफ।
रे मन भटक न जाना आप।।

भावांजलि संग्रह हम सबको संस्कारित करने का एक प्रयास प्रतीत होता है। माता-पिता पर लिखी गई पंक्तियां हमें दिशा-बोध देती हैं –
पिता एक ऐसी टकसाल है, संघर्षों से लड़ने वाली तलवार है।
ये पी लेता है सबके दुखों को, मां बच्चों का यही संसार है।
… … …
हे मां, अपना रक्त पिलाकर, मुझको जीवन दान दिया।
तेरी ममता ने मुझको, आंचल से अपने ढांक लिया।।

इस भावांजलि संग्रह में चंदा मामा पर बहुत ही सुन्दर कविता है। लेखिका ने चंदा मामा को नये संदर्भों से जोड़ा है, जो बहुत ही रुचिकर है। पंक्तियां देखें –
हम भारत माता के बच्चे, चंदा है मामा जी मेरे।
करते हैं हर दिन हमारे, अंगना में आकर फेरे।
… … …
भारत माता चंद्रयान 3 बन, पहुंची मामा के पास।
बिगुल बज गया पूरे विश्व में, भारत मां का सफल प्रयास।।
… … …
आज तिरंगा चंदा मामा के, हाथों में बांध दिया।
भाई बहन के पावन रिश्ते, को है कितना मान दिया।।

इसी प्रकार बेटी पर दो पंक्तियां देखें –
बेटी का जन्म हुआ जिस घर में, वह स्वर्ग से सुन्दर होता है।
बेटी के बिना कोई भी घर, आबाद कभी न होता है।।

भावांजलि की कविताओं में सद्मार्ग पर चलने के लिए समाज को प्रेरित करने का प्रयास किया गया है। इसमें संग्रहीत सभी रचनाएं सार्थक संदेश देती हैं। इसमें गणपति की सुन्दर सी वंदना है, मानवता पर कविताएं हैं, गुरु की महत्ता पर भाव व्यक्त किए गए हैं, ईश्वर से सद्बुद्धि प्रदान करने की प्रार्थना है, हिन्दी प्रेम की कविता है, कजरी है, रक्षाबंधन में भाई-बहन का प्यार है, देशभक्ति है, बेटी का दर्द आदि बहुत कुछ है जो हमें निश्चित रूप से संस्कारित करने का प्रयास करता हुआ प्रतीत होता है।
इस प्रकार भावांजलि की सभी रचनाएं हमें सार्थक संदेश देती हैं। संग्रह में समाज-जीवन का स्पंदन महसूस किया जा सकता है। ‘भावांजलि’ कविता-संग्रह कवयित्री श्रीमती शिमला पाण्डेय को यश प्रदान करे। मेरी मंगल कामनाएं उन्हें समर्पित हैं।

पुस्तक : भावांजलि – कविता संग्रह
कवयित्री : श्रीमती शिमला पाण्डेय
कीमत : 51 रुपए
प्रकाशक : ‘नये पल्ल्व’ प्रकाशन, पटना

  • डॉ. दिनेशचन्द्र अवस्थी
    संस्थापक, राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान, उ.प्र.
    बी-4/26 विजयंत खण्ड, गोमती नगर, लखनऊ

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