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लड़कियां

RESULT : कविता प्रतियोगिता 2020
सांत्वना पुरस्कार

‘शिखा’ मनमोहन शर्मा

लड़कियां तुलसी का पौधा होती हैं
अनायास ही बिना प्रयास के उग आती हैं
पूजा-अर्चना होती है कहीं
तो कहीं उखाड़ फेंक दी जाती है
कहीं से थोड़ा भी स्नेह मिले तो
नन्हा पौधा फिर खिल जाता है
और जिससे रूठ जाए…
पीढ़ी दर पीढ़ी मानती नहीं है
मन से चाहते हैं –
एक नन्हा सा पौधा खिल जाए
अंगना में पर
वे शापित परिवार होते हैं
जिससे वह रूठी होती है
शायद पूर्वजों के कर्मों के कारण
घर में बबूल की लाइन लग जाती है
फिर दूसरों के घरों से लाया जाता है
नन्हा सा पौधा पर
जहां प्रेम समर्पण ना मिले
उनसे रूठी रहती है
रूठना सही भी है
हर किसी के नसीब में नहीं होता
गुणों को इज्जत देना
सच ही तो है
लड़कियां तुलसी का पौधा होती है।

पता : ए 10 अशोक विहार, न्यू सांगानेर रोड, मानसरोवर, जयपुर-302020
ई-मेल : [email protected]

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