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जीत हिंदी की

स्नेह गोस्वामी

प्रसिद्ध गाँधीवादी एवं कांग्रेस के भूतपूर्व अध्यक्ष डाॅक्टर पट्टाभीसीता रमैया अपने सभी पत्रों पर पता हिंदी में ही लिखा करते थे। इससे डाकखाने वालों को बड़ी असुविधा होती थी। उन्होंने डाॅक्टर रमैया को संदेश भेजा कि वे पता अंग्रेजी में लिखा करें, ताकि डाक सही स्थान पर भेजने में असुविधा न हो।
डाॅक्टर रमैया ने उत्तर दिया – भारत की राष्ट्रभाषा हिंदी है, अतः मैं पत्र व्यवहार में उसी का प्रयोग करूँगा। आप अपने कर्मचारियों को उसी के अनुसार काम करना सिखाएं।
पोस्ट आॅफिस वालों ने धमकी दी – ”यदि आप अपनी हरकतों से बाज नहीं आये, तो आपके सारे पत्र डैड आॅफिस भेज दिए जायेंगे।”
लेकिन रमैया टस से मस नहीं हुए। उन्होंने हिंदी पता लिखना जारी रखा।
अंत में डाक विभाग झुक गया। उन्हें मछ्लिपट्टम के डाकघरों में हिंदी जानने वाले कर्मचारियों की नियुक्ति करनी पड़ी। शेष लोगों को भी जल्दी से जल्दी हिंदी सीखने की सलाह दी गई। इस तरह दक्षिण में हिंदी जीत गई।

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