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शुभी मिश्रा की कविताएं

Shubhi Mishra

यह दुनिया तो …

यह दुनिया तो आनी-जानी है
हर एक की अपनी कहानी है
हर तरफ मजहब का रेला है
ये संसार सुख-दुख का मेला है
हर शख्स के आखों में पानी है
यह दुनिया तो आनी-जानी है
रिश्वत घूसखोरों का चेला है
इस भीड़ में ईमान अकेला है
सच्चाई तो अब बेईमानी है
झूठ कि पूरी कहानी है
सच्चाई ने बेईमानी को झेला है
मासूम खून के रंग खेला है
ये दुनिया तो आनी-जानी है
चाहत कि गंगा बहानी है
प्रेम की कहानी सुनानी है
ये दुनिया तो आनी-जानी है।

याद रखना

तुझे दोस्त कहूं या रब कहूं
पर जो भी कहूं मैं सच कहूं
जहां भी जाना, मेरी दोस्ती याद रखना
कभी जो जानबूझकर जो की थी,
वो नादानी बस याद रखना
काॅलेज कैंटीन और फ्रेंडशिप बैंड,
उसकी साईकिल के पास साईकिल लगाते थे,
… वो स्टैंड बस याद रखना
कभी जो खत्म न हो सके …
वो दोस्ती जरा तुम याद रखना
टीचर ने जो शिकायत की थी
वो शिकायत भी तुम याद रखना
मेरे आंखों से गिरे हर एक आंसू
को हो सके तो याद रखना
पता नहीं हम कब मिल पायें
या फिर कभी ना मिल पायें
पर जितने भी लड़ाई झगड़े थे
वो लम्हा एक-एक याद रखना
टूट कर जो ना टूट पाई
वो दोस्ती तुम याद रखना
याद रखना दोस्त इस दोस्ती को
हर बसंत, सावन तुम याद रखना।

यह रिश्ता है …

यह रिश्ता है रूठने-मनाने का
गमों वाले आंसू का
खुशी वाले मुस्कुराहट का
ये रिश्ता है भाई-बहन का।
बहन वो जो भाई की खुशी के लिए
अपने आंसू छुपा लेती है
भाई वो जो बहन की खुशी के लिए
सारी हदे पार कर जाता है
बहन वो जो राखी में अपना प्यार पिरोए
भाई वो जो बहन को रक्षा का वचन दे
यह रिश्ता है एक दूजे को मनाने का
इसलिए कहते हैं –
यह रिश्ता है भाई-बहन का।

Address : Shangri nagar, sultanpur, UP
School : SVM Class : 9th

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