RESULT : हिन्दी कहानी/कविता प्रतियोगिता 2020 (Poem)
इन्तजार खत्म ! अब ‘हिन्दी कहानी/कविता प्रतियोगिता 2020’ के कविता वर्ग का परिणाम आपके सामने है। प्रतियोगिता में दीपक क्रांति को प्रथम और दीपिका डकहा को द्वितीय स्थान के लिए चुना गया है। तृतीय स्थान पर दो लोगों को रखा गया है – अंजनी कुमार शर्मा और मनोज बाथरे चीचली। आप सभी को नये पल्लव परिवार की ओर से बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएं !
जुगनी और जंगल
First
जुगनी जंगल जाती है
चुन-चुन सूखी लुआठी लाती है
जलती धूप में चलकर जल जाती है
जिंदगी का चैका फूँक-फूँक कर
लड़की लकड़ी-सी जल जाती है
माचा (झोपड़ी) में एक बूढ़ी मईया है
और है एक छोटा-सा भाई
बप्पा कब के कब्र में चला गया
लोग कहते हैं जंगल में खो गया है
जुगनी रोज जाती है जंगल
अपने बप्पा को खोजने
कभी साखुआ के पत्तों के पीछे
कभी शीशम या महुआ के नीचे
खोजती है बप्पा को
जीती है उसकी यादों को
यह लकड़ी चुनती लड़की
गजब की जिजीविषा है जुगनी का
अभाव में भी जीना जानती है
क्योंकि जल-जंगल-जमीन ही जग है जुगनी के
पर सुना है,
अब शहर बसने वाला है
और रेलवे लाईन का भी काम होगा
पर क्या होगा जुगनी के ‘जग’ का अब
जहाँ चिड़िया-सी दाना चुग-चुग
जुग-जुग जीते आयी है जुगनी
अब तो उसकी मईया का भी कहना था
जुगनी जाएगी
जंगल काटकर बननेवाले रेलवे लाईन पर
काम खोजने
जहाँ अपने खोये बप्पा को खोजने जाती थी
खुली हवा में भी बहना है जुगनी को
जहाँ हवा में भी जहर बह रहा
जुगनी तो मुँह ढकनी (मास्क) का
नाम भी नहीं जानती…।
पता : ग्राम-तेलगांव, गुमला, झारखण्ड
मोबाइल : 7004369186
[email protected]
मेरे गाँव की यादें
Second
वो खेतों पर चलते हलों की
और बारिश में बढ़ती फसलों की,
वो हरे-भरे पेड़ों की छाँव म,ें
बीते हुए प्यारे पलों की,
यादें भुलाई नहीं जातीं।
वो कुएँ के मीठे पानी की
और अल्हड़-सी जिंदगानी की,
वो मेरे छोटे-से गाँव में,
बीते बचपन की कहानी की,
यादें भुलाई नहीं जातीं।
वो मिट्टी के कच्चे मकानों की
और चूल्हे पर बने पकवानों की,
वो मिलजुलकर जीने के उराव में,
बीते खुशनुमा जमानों की,
यादें भुलाई नहीं जातीं।
वो खाट पर लगती झपकियों की
और दादी माँ की थपकियों की,
वो मेरे अपनों के लगाव में,
बीते कल की अनकही बारीकियों की,
यादें भुलाई नहीं जातीं।
पता : विपिन कुमार डकहा, 44, महावीर कम्पाउण्ड, सदर, जबलपुर-482001 मध्य प्रदेश
मोबाइल : 9977188461
[email protected]
कलम की अभिलाषा
Third
चाह नहीं मैं वैरागी सम,
जीव-जगत का सार लिखूँँ।
चाह नहीं मैं प्रेम मिलन की,
बातें निराधार लिखूँ।
चाह नहीं देवों की महिमा,
और असुरों की हार लिखूँ।
चाह नहीं धन-वैभव खातिर,
छंदों का भण्डार लिखूँ।
मुझसे ऐसी कविता लिखना,
जिसमें वीरों का सम्मान हो।
मातृभूमि की खातिर जिसमें,
समता व स्वाभिमान हो।
पता : ग्राम-पूरे चैधरी, पोस्ट-सिकंदरपुर, रायबरेली-229126, उत्तर प्रदेश
मोबाइल : 6391972033
[email protected]
प्रेम की तलाश
Third
व्यथित हृदय
गुलशन दर गुलशन
तलाशता रहा प्रेम को
उमड़ती घुमड़ती
भावनाओं को अपने संग
लिए खोजता रहा
हर चमन में उसको
पर, व्यथित हृदय को
क्या पता कि
वो मिलता है कहां
क्योंकि
वो खुद ब खुद
चला आता है
अपने पास
हृदय में वास करने को
अपनी भावनाओं को
महकाने को।
पता : जैन मंदिर के पास, नरसिंहपुर-487770 मध्य प्रदेश
मोबाइल : 7566446544
[email protected]
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