मैं और तुम

नये पल्लव 11 अंक से
एक किताब सी मैं
एक कहानी से तुम
एक सुमन सी मैं
और परिमल से तुम
मैं और तुम अटूट,
अविभक्त, अपृथक
अभिन्न, एकरूप
सम्पूर्ण, नहीं पृथक
मेरे जीवन की पुस्तक में
कहानी तेरे नाम की
प्रथम पृष्ठ भी तुझसे
आखिरी तेरे नाम की !
पेड़ और लता
सुदृढ़ तने से आबद्ध लता
सहज लिपटी सी कोमलता
सानिध्य में फूलती फलती
सुरम्य उनकी सातत्यता
नव कोंपल तन पर मुस्काए
बल खाती डालियाँ इठलाए
किसलय, कलियाँ और कुसुम
पवन झकोरे संग झूमे गाए
प्रकृति की सौगात अद्वितीय
लता वृक्ष का मेल शोभनीय
प्रतीत होते दो तन एक प्राण
संयोग उनका अविभाजिय !
पता : 151, Kalpkriti Parisar, Awadhpuri Risali, Bhilai, Durg, Chhattisgarh