दिल को छूता है ‘कुछ दूर तक’
पुस्तक समीक्षा
‘कुछ दूर तक’ दिल को छूने वाली रचना है। लेखिका ने बहुत ही सरस एवं सहज भाषा में रिश्ते की गहराइयों को व्यक्त किया है। करुणा, प्रेम, त्याग, परोपकार, ये उत्कृष्ट मानवीय गुण हैं और ये हमें एक दूसरे से और ईश्वर से जोड़ते हैं। आज के यांत्रिक युग में जब हम अपनी जिंदगी में अपनों को नहीं शामिल कर पा रहे हैं, यह कहानी हमें सोचने पर मजबूर करती है, अपने अन्तर्मन में झांकने को विवश करती है कि कैसे मालिक और नौकर का रिश्ता एक परस्पर सहयोग, सम्मान, त्याग और प्रेम पर आधारित पवित्र रिश्ता है। हम सब अपने जीवन में नारी के संघर्ष, विवशता, मातृत्व, कर्तव्यबोध से परिचित हैं। आर्थिक एवं सामाजिक स्थिति के परे अब भी पति के सहयोग के बिना नारी का कोमल मन मौन व्यथा की कहानी कहता है। लेकिन, नारी अपने सम्मान और बच्चों की परवरिश के लिए सतत प्रयत्नशील रहती है और अन्याय के खिलाफ दुर्गा मां की तरह हथियार भी उठाती है। पति पत्नी के बीच के रिश्तों की मधुरता से उपजे सुंदर और आत्मविश्वास से परिपूर्ण और निष्ठुर जीवन यात्रा से संघर्षरत, मानसिक संत्रास से ग्रसित व कई तरह की कुंठाओं से घिरी हुई, लेकिन हिम्मत नहीं हारने वाली नारी के दोनों रूपों का बड़ा ही सुंदर और सजीव चित्रण है।
सबसे ज्यादा दिल को छूता है दो नारियों का एक दूसरे के लिए प्रेम और समर्पण। कहानीकार की कलम में बहुत शक्ति, श्रद्धा, करुणा और प्रेम है। मानव मात्र के लिए, प्रकृति के लिए, ईश्वर के लिए, रिश्तों के लिए, सच्चाई और अच्छाई के लिए, नारी उत्थान के लिए जो उनकी कथा में स्वतः परिलक्षित है। प्राकृतिक दृश्यों, झील, उद्यान, हरियाली, सबकी सुंदरता का जीवंत वर्णन मन को आह्लाद, सुकुन, प्रेम और प्रार्थना से सराबोर कर देता है।
‘सुभी और मालती’ प्रेरक हैं, एक दूसरे के पूरक हैं। प्रेम, सहयोग, समर्पण और न्याय की पराकाष्ठा हैं और हमारे जीवन को विषम परिस्थितियों में भी सतत कर्मरत रहने और हमें प्रेम, सहयोग एवं सम्मान देने के लिए प्रेरित और कृत संकल्प करती हैं। मानवीय संवेदना की सुंदर कृति, बिलकुल ‘तनुजा दी’ की तरह सहज, सुंदर, सशक्त, कर्मठ और प्रेरक, एक प्रार्थना की तरह…।
पुस्तक : कुछ दूर तक (उपन्यासिका)
लेखिका : तनूजा मिश्रा
प्रकाशक : नये पल्लव, पटना
मूल्य : 150 रुपए।
समीक्षक : डॉक्टर सुरुपा शर्मा, नयी दिल्ली