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राष्ट्रभाषा के बिना राष्ट्र गूंगा है : महात्मा गांधी

शोध आलेख

हिंदी चिरकाल से ऐसी भाषा रही है, जिसने मात्र विदेशी होने के कारण किसी शब्द का बहिष्कार नहीं किया ।

— डाॅ. राजेंद्र प्रसाद

पुस्तक समीक्षा

  • भावांजलि : समाज को दिशा देता संग्रह
    डॉ. दिनेशचन्द्र अवस्थी मन के सूक्ष्म संवेगों को लय, ताल और छंद विधान के साथ गेयता में प्रस्तुत करने की कला का नाम है – काव्य सर्जना। ‘भावांजलि’ नामक काव्य […]
  • दिल को छूता है ‘कुछ दूर तक’
    पुस्तक समीक्षा ‘कुछ दूर तक’ दिल को छूने वाली रचना है। लेखिका ने बहुत ही सरस एवं सहज भाषा में रिश्ते की गहराइयों को व्यक्त किया है। करुणा, प्रेम, त्याग, […]

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