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राष्ट्रभाषा के बिना राष्ट्र गूंगा है : महात्मा गांधी
शोध आलेख
- हिंदी उपन्यासों में मुस्लिम वर्ग के आर्थिक जीवन का चित्रणमो. इस्माईल इस्लाम में ईमानदारी से जीविका कमाने पर बहुत बल दिया गया है। इस्लाम एक संपूर्ण जीवन व्यवस्था होने की वजह से हर मनुष्य को अपना जीवन जीने के […]
- आदिवासी सभ्यता एवं संस्कृति के उत्थान में आदिवासी महिलाओं का योगदानकिसी भी क्षेत्र की संस्कृति की पहचान उस क्षेत्र के लोकजीवन से होती है। लोकजीवन से तात्पर्य उस अतीत की खोज से है जिसकी परम्पराएं, प्रेरणाएं एवं प्रतीक ने आज […]
हिंदी चिरकाल से ऐसी भाषा रही है, जिसने मात्र विदेशी होने के कारण किसी शब्द का बहिष्कार नहीं किया ।
— डाॅ. राजेंद्र प्रसाद
पुस्तक समीक्षा
- भावांजलि : समाज को दिशा देता संग्रहडॉ. दिनेशचन्द्र अवस्थी मन के सूक्ष्म संवेगों को लय, ताल और छंद विधान के साथ गेयता में प्रस्तुत करने की कला का नाम है – काव्य सर्जना। ‘भावांजलि’ नामक काव्य […]
- दिल को छूता है ‘कुछ दूर तक’पुस्तक समीक्षा ‘कुछ दूर तक’ दिल को छूने वाली रचना है। लेखिका ने बहुत ही सरस एवं सहज भाषा में रिश्ते की गहराइयों को व्यक्त किया है। करुणा, प्रेम, त्याग, […]